मौत के बाद के हिसाब की तैयारी करनी है इसीलिए मैं मुस्लिम हुई : सिस्टर अफ़साना
“मुझे अपनी ज़िन्दगी के बाद अपनी आख़िरत और मौत के बाद के हिसाब की तैयारी करनी है, इसीलिए मैं मुस्लिम हुई” – सिस्टर अफसाना
मैं हिजाब भी पहनती हूँ और हिजाब पहन कर मैं गर्व सा महसूस करती हूँ। मुझे ऐसा लगता है की हिजाब पहनना कोई ज़बरदस्ती नही बल्कि हमारा हक़ है। अगर समाज में कोई लड़की छोटे कपड़े पहनती है तो भले ही दुनिया कितनी भी मॉडर्न क्यू न हो पर फिर भी लोग उसको दुसरे नज़रिये से देखते हैं। और वहीं दूसरी ओर अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो उसको सब आदर और अच्छे नज़रिये से देखते हैं।
अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाहि वबराकातुह,
मेरा नाम अफसाना है। जैसा की लोग बोलते हैं की इस्लाम महिलाओं को विवश करता है और उनपर ज़ुल्म करने को कहता है। पर ऐसा बिलकुल भी नही है मैंने देखा की इस्लाम सभी का सशक्तिकरण करता है। इस्लाम सभी को बराबर हक़ देता है। इस्लाम ने कभी भी कहीं भी ऐसा नही कहा की महिलाओं को पुरुषों से कम हक़ दिए गए हैं।
जब मैं इस्लाम में आई तो मुझे एक आत्मविश्वास मिला ऑफ़ मैं इस्लाम में आने के बाद बहुत खुश थी की मैंने इस्लाम को पहचान और सही रास्ते पर चलने के काबिल हुई। इस्लाम में आने के बाद मुझे एक तरह का आश्वासन मिला है। मुझे बहुत अच्छा लगता है की मैं अपने ईश्वर की प्रार्थना कर सकती हूँ और मुझे दिन में पांच बार उस ईश्वर की इबादत करने का मौका मिलता है।
मैं हिजाब भी पहनती हूँ और हिजाब पहन कर मैं गर्व सा महसूस करती हूँ। मुझे ऐसा लगता है की हिजाब पहनना कोई ज़बरदस्ती नही बल्कि हमारा हक़ है। अगर समाज में कोई लड़की छोटे कपड़े पहनती है तो भले ही दुनिया कितनी भी मॉडर्न क्यू न हो पर फिर भी लोग उसको दुसरे नज़रिये से देखते हैं। और वहीं दूसरी ओर अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो उसको सब आदर और अच्छे नज़रिये से देखते हैं।
शुरू में मैंने थोड़ा बहुत सोचा पर मैंने फिर ये सोचना ही छोड़ दिया की लोग क्या कहेंगे। बस मैं इतना जानती थी की मुझे अपनी ज़िन्दगी के बाद की तैयारी करनी है और अपनी आख़िरत और मौत के बाद के हिसाब की तैयारी करनी है। हाँ ये एक बहुत ही लम्बा सफर था, एक महिला को इस्लाम को क़ुबूल करने के बाद कई परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं, पर जो अपने दीन और ईमान पर भरोसा रखते हैं वह कभी भी पीछे नही हटते। मैं उन लोगों का भी बहुत शुक्रिया करना चाहती हूँ जिन्होंने मेरी इस्लाम में आने में मदद करी।
जो लोग अभी इस्लाम क़ुबूल करना चाहते हैं मैं उनसे यही कहना चाहती हूँ की पहले आप इस्लाम को समझ लें और अपने आप से एक बार पूछ लें की क्या आप इस्लाम क़ुबूल करने के लिए तैयार हैं या नही, उनको इस्लाम पर पूरी तौर से भरोसा हुआ है या नही। इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो सभी के लिए खुला हुआ है। मैं यही कहना चाहूंगी की अगर आप इस्लाम में आते हैं तो अल्लाह और उसकी इबादत के साथ साथ ज़िन्दगी जीने का भी तरीका और उसकी प्राथमिकता भी सिखाता है।
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