निकाह में देरी से गुनाह का लालच

   माँ मैं जल्दी #शादी करना चाहती हूँ अपना आधा #ईमान मुकम्मल करना चाहती हूँ आप क्यों नहीं मेरी #शादी जल्दी करती ???

मैं एक आम इंसान हूँ 21 साल मेरी उम्र हैं और मेरा घराना मज़हबी हैं जहाँ नमाज़_रोज़ा_दींन को बहुत एहमियत दी जाती हैं मगर ये एहमियत सिर्फ नमाज़ रोज़ा तक ही हैं जो हुक्म उसके आलावा हैं वो हमारे खानदान में पुरे नहीं होते मैंने स्कूल कालेज युनिवर्सिटी से लेकर हर इदारे में अल्लाह की मदद से अपने आपको गुनाहो से महफूज़ किया। मेरी सहेलियों के बाॅयफ्रेंड थे बुरे काम करते थे डेट पे जाते हैं मगर मैंने सोचा मैं ये सारे काम #हलाल  तरीके से करुँगी मेरी उम्र 21 साल हुई तो मुझ शादीे की तलब होने लगी अपने आपको बुराई से बचाना बड़ा मुश्किल हो गया मैंने अपने घर वालो को कहना शुरू किया अब वक़्त आगया है मेरी शादी कर दें मैंने पढ़ाई मुकम्मल कर ली है जॉब भी करती हूँ अच्छा कमा भी लेती हूँ मगर मेरे घर वालो ने इस बात पे ऐतराज़ करना शुरू कर दिया की अभी तुम्हारी उम्र ही क्या हैं मेने उनको क़ुरान अहादीस का रेफ़्रेन्स दिए मगर उन्होंने उसे ये कह कर टाल दिया बाकी इस्लाम की भी बाते मानो... एक दिन मेरी अम्मी ने मुझे बताया मैंने क़ुरान का तर्जुमा पूरा पढ़ लिया हैं मैंने अम्मी से कहा ऐसा पढ़ने का क्या फायदा की जिस पर अमल नहीं करना...कुरआन में लिखा है बालिग हो तो शादी करो अहादीस का मफ़हूम खुलासा हैं अगर बच्चा बालिग हो जाये तो उसकी शादी करदो ऐसा ना करने पर जो गुनाह औलाद से होंगे उसकी सजा उसके वालिदेन को मिलेगी औलाद को नहीं...

इंटरनेट टीवी पर फहाशी के बाज़ार आम हैं दोस्तों के साथ देखती हूँ वो लड़कों के साथ एन्जॉय कर रही हैं मेरा भी मन करता हे बाज़ारो में लड़को पे नज़र पड़ती हे मर्दाना चाल बलिश्त भुजाएँ।कब तक अपने अरमानों पर खंजर चलाऊं कैसे बचाऊ अपने आपको में भी चाहती हूँ ..कि कोइ हो जिसके साथ में भी घुमने जाऊं.अपने अहसास शेयर करूं...में चिड़ चिड़ी होती जा रही हूँ घर वाले केहते हैं में बत्तमीज़ हो गयी हूँ मगर उन्हें समझ नहीं आती ये बत्तमीज़ी क्यों होती हैं ।

       मगर मेरी कोई सुनता नहीं केहते हैं अभी तेरी उम्र ही क्या हुई 18 साल सिर्फ...26 साल की उम्र से पेहले शादी का नाम ना लेना में कैसे समझाऊ अब मुझे घर मे बोरियत महसूस होती हे रात करवटें बदलते हुए तो दिन उन खुशनसीब जोडो को दिखकर ललचाता हे जो अपनी बीवी के साथ पार्कों में चहल कदमी करते हूए बतियाते रहते हें।अब क्या में उनको समझाऊं कि आखिर बेटियों को पराया धन क्यों कहते हें ?

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Milan Tomic

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