जब बनी-इस्राईल के लोगो के लिए आदेश हुआ कि अमुक बस्ती पर हमला करो
क्योंकि वहाँ के लोग अत्याचारी हो गए है तो उन लोगों ने हमला करने से इंकार कर दिया (क्योंकि फिरौन की गुलामी करते -करते वो गुलाम मानसिकता के हो गए थे ) फिर इन लोगों को चालीस साल रेगिस्तान में भटकने के लिए छोड़ दिया गया इन चालीस सालों में बनी-इस्राईल के बच्चे बड़े हो गए
वो गुलाम मानसिकता के नहीं थे.उन्होंने आज़ाद हवा में जीना सीख था.इन लोगों ने उस बस्ती पर हमला किया और विजयी हुए
आज सीरिया/इराक/अफ़ग़ानिस्तान/फिलिस्तीन/ कश्मीर आदि देशों में जो बच्चे जंग के बीच पल-बढ़ रहे है.अगर बड़े होकर उनमे दुनिया को फतह कर लेने का हौसला हो तो कोई आश्चर्य नही।
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