मैं किसी आलिम ए दीन से ही शादी करूंगी


इसकी मत मारी गई है बेवकूफ लड़की ,,,
इसीलिए इसे एम एस सी कराई थी कि ये इस किस्म की बात करेगी "
खौरुन्निसा का गुस्सा भड़का हुआ था।
ताअज्जुब तो मुझे भी हो रहा है दुनिया की तल्ख़ हक़ीक़तों से नावाक़िफ़ ये नादान लड़की, आख़िर किसी मौलवी के साथ दुश्वारियों को किस तरह झेल पाएगी...?
बाप,, अमीनुल हसन के चेहरे पर फ़िक्र की गहरी लकीरें फैली जा रही थीं।
सुनिए... सोनू के अब्बू मैं तो समझा -समझा कर तक गई हूं उल्टे मुंझे समझाने लग जा रही है अल्लाह रसूल के क्या-क्या हवाले पेश करने लगती है , ऐसे में भला इससे क्या कोई मअकूल बात की जा सकती है? आप ही इसे समझाइए।
खैरू तू घबरा मत मैं उसे समझाता हूँ । वह मेरी बेटी ,तालीमयाफ्ता है समझ जाएगी।
खैरुन्निशा और अमीनुलहसन बिस्तर पर लेट गए और दोनों इसी फिक्र में डूबे थे कि आखिर उनकी बेटी नाएमा का क्या होगा...???
रिश्ता इंजीनियर लड़के का आया था वह गल्फ में किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करता था उसके पास फैमिली वीज़ा था तनख्वाह बहुत अच्छी थी और मारूफ़ ख़ानदान से ताअल्लुक़ रखता था । एक-एक फर्द को रिश्ता पसन्द था, अमीनुलहसन तो इस रिश्ते से ज़्यादा ही खुश थे। खैरू ... तेरी बेटी राज करेगी राज, लड़के पास फैमिली वीज़ा है ,अरे इधर उसका निकाह हुआ और उधर उड़ जाएगी तेरी नाएमा , शहर में चार कमरे की फ्लैट ले कर रहता है वह, कम्पनी की तरफ से बेहतरीन गाड़ी मिली हुई है उसके अंडर में कितने मुलाज़िम काम करते हैं । खुशकिस्मत है तेरी नाएमा ,, देख माशाअल्लाह क्या रिश्ता आया है।
तस्वीर देखी है तूने लड़के की? अरे प्रिंस लगता है माशाअल्लाह ,,, अरब शहज़ादे से कम नहीं..।
खैरुन्निशा भी हां में हाँ मिला रही थी, उसकी खुशियां उसकी निगाहों की चमक से हवाइयां थीं ,खुशी का तो ये आलम था कि वह ठीक से अल्फ़ाज़ तक अदा नहीं कर पा रही थी।
अमीनुलहसन से कह रही थी: बस जी अब अल्लाह के लिए जल्दी-जल्दी तैयारी शुरू कर दीजिए और अल्लाह से दुआ कीजिए कि रिश्ते को किसीकी बुरी नज़र न लगे। मैंने तो तस्वीर नाएमा के कमरे में रख दी है ,किसी वक़्त देख ही लेगी वह भी। बहुत खुश नसीब है हमारी गुड़िया !
दूसरे दिन माँ ने उससे उस तस्वीर के बारे में पूछा था उसके जवाब से हैरत में ही पड़ गई थी।
नाएमा: अम्मी,,,, मुझे लड़के में कोई कमी नज़र नहीं आती सिवाए इसके कि मैं किसी आलिम ए दीन मौलाना लड़के से शादी करना चाहती हूं।
खैरुन्निशा:- ये तू क्या बकवास कर रही है? तेरे अब्बू इस रिश्ते से कितने खुश हैं? तुम्हे कुछ पता भी है? बेवकुफ लड़की! पहले ये तो जानना चाहिए था कि ये लड़का क्या करता है "" इंजीनियर है गल्फ़ में नौकरी करता है ,लाखों का महीना कमाता है, कितने सौ आदमी इसके नीचे काम करते है , फैमिली वीज़ा है इसके पास। चार कमरे का फ्लैट ले कर रहता है ,बेहतरिन गाड़ी है और....
नाएमा:- लेकिन इसके चेहरे से दीनदारी तो नहीं झलक रही? मुझे दीनदार लड़का चाहिए।
खैरुन्निशा-: तेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है क्या? क्या दीनदारी दीनदारी की रट लगा रखी है इसको छोड़ के तू चार हज़ार -पांच हज़ार वाले किसी मौलवी से बंधना चाहती है, क्या करेगा कोई मौलवी तेरे लिए? पागल कहीं की, किसने तुम्हें उल्टा - सीधा समझा दिया है??
नाएमा-: अम्मी! किसी ने कुछ नहीं समझाया , मैं किसी मौलाना से इस लिए शादी करना चाहती हूं कि वह अपना हक़ भी जानता है और बीवी का भी , वह हुक़ुक़ मांगता है तो हुक़ुक़ अदा भी करता है। वह अमानतदार होता है , वह बदनज़र नहीं होता, वह मुहब्बत सिर्फ मुझसे करेगा और रोज़ी तो बहरहाल लिखी हुई है वह तो जितनी मिलनी होगी मिलकर रहेगी।
खैरुन्निशा-: तेरे बाप को कितना सदमा होगा जब यह सब सुनेंगें, कैसा अच्छा भला रिश्ता आया था अरे ऐसे रिश्ते अब मिलते कहाँ हैं? बेवकुफ लड़की कहीं की....
नाएमा-: अम्मी! ये अच्छा रिश्ता कितने पैसों में तय होगा?? लाखों कमाने वाला कितने की मांग करेगा, ये भी मालूम है ना..?
खैरुन्निशा-: ये तेरा मसअला है या तेरे वालिदैन का मसअला है? शादी में तो आज के ज़माने में पैसे खर्च होते ही हैं, इसमे कौन सी नई बात है? तू ज़्यादा दलील मत बघार समझी....?
नाएमा-: अम्मी! आज के ज़माने में भी अच्छे मौलाना बग़ैर कुछ लिए शादी करते हैं , सुन्नत के मुताबिक शादी होती है , मेरे लिए आप लोग कोई मौलाना लड़का तलाश कीजिये, सोचिए ना, ये दुनिया कितने दिनों की है ? आज ना कल सबको मरना है , मैं किसी ख़ुदा तरस इंसान के साथ जीना चाहती हूं ताकि मेरी आख़िरत तबाह ना हो जो हमेशा की ज़िंदगी है।
अमीनुलहसन ने सुबह नाश्ते के बाद जब नाएमा को आवाज़ दी तो नाएमा ने पहले से ही अपना ज़हन बना लिया कि उसे किस तरह बाप को क़ायल करना है,।
अमीनुलहसन- बेटा! हम लोगों ने आपके एक रिश्ता देखा है, हम सब लोगों को लड़का पसन्द है आपकी अम्मी बता रहीं थीं कि आप....
नाएमा- अब्बू! मुझे कोई ऐतराज नहीं है लेकिन अगर आप मेरी खुशी चाहते है तो मेरे लिए कोई दीनदार आलिम ए दीन लड़का देखिए, मैं जानती हूं कि ये सुनकर आपको अच्छा नहीं लगेगा लेकिन मैं आपसे फिर भी गुज़ारिश करूंगी।
अमीनुलहसन- लेकिन बेटा, मौलवी लोगों में भी तो बुरे लोग होते हैं? अगर कोई नालायक़ मौलवी मिल गया तो?? ना दुनिया मिली और ना आख़िरत , खसारा ही खसारा, हम आपका बुरा तो नहीं चाह सकते हैं ना बेटा!!
नाएमा- आप सही कह रहे हैं अब्बू, लेकिन हर जगह शरह देखी जाती है, हो सकता है कि कुछ मौलवी बुरे हों लेकिन ज़्यादातर तो अच्छे होते हैं और फिर क्या जरूरी है कि मेरी किस्मत में कोई बुरा ही हो, आप अल्लाह पर भरोसा तो कीजिये, मेरी दुनिया बनाने के चक्कर मे मेरी आख़िरत तो किसी बेदीन के हवाले मत कीजिये....
अमीनुलहसन लाजवाब हो गए थे , उन्हें अपनी बेटी की बात में जान नज़र आ रही थी, वह कोई नादान और गंवार लड़की भी नहीं थी आला तालीम से बहरावर थी , तेईस साल की उम्र को पहुंच चुकी थी वह अपनी पसंद और नापसन्द का इज़हार कर सकती थी लेकिन उन्हें समाज और ख़ानदान के लोगों के तंज सता रहा था, वह जानते थे कि लोग मज़ाक़ उड़ाएंगे, बातें बनाएंगे और उन्हें सबकी बातें सुननी पड़ेंगी।
खैरुन्निशा को उन्होंने अब खुद ही क़ायल करना शुरू कर दिया और तलाश व ज़ुस्तज़ु में लग गए कि कोई अच्छा आलिम मिले तो अपनी बेटी की शादी कर दें, अल्लाह का करिश्मा देखिए कि उन्हीं दिनों शहर में दीनी जलसा हो रहा था एक नौजवान आलिम ए दीन क़ुरआन व सुन्नत के दलाएल की रोशनी में धुआंधार तक़रीर कर रहा था, अमीनुलहसन की आखों में उम्मीद की रोशनी झिलमिलाने लगी।
छ महीने के अंदर शादी हो गई मौलाना एक दीनी इदारे में तदरीसी फ़रीज़ा अंजाम दे रहे थे , यही कोई दस हज़ार की तनख्वाह थी। शादी बड़े ही सादा अंदाज़ में बग़ैर किसी सलामी के हुई , नाएमा को ऐसा लग रहा था जैसे उसके पांव ज़मीन पर हों ही नहीं वैसे भी मौलाना शेरवानी में बहुत हसीन लग रहे थे लेकिन दूसरी तरड़ ख़ानदान के लोग मज़े ज़रूर ले रहे थे चचाज़ाद भाई अमीनुलहसन से कह रहे थे - चलिए अमीनुल साहब , पैसे बचाने के लिए आपने अच्छा क़दम उठाया, दीनदारी के पर्दे में ये हरकत आसानी से छिप जाएगी, गांव के मुखिया का तंज था- मुबारक हो अमीन बाबू, नहीं भी तो पच्चीस तीस लाख की बचत हो गई वैसे शादी के बाद उसी पैसे से मौलाना को कोई बिज़नेस करवा दीजियेगा...।
दो महीने बाद नाएमा ससुराल से मायके आई थी, वह ऐसे खुश थी जैसे उसे ज़िन्दगी का सबसे बड़ा खज़ाना हाथ लग गया हो, माँ को इस बात की खुशी थी कि बेटी खुश है , ये अलाव बात है कि उसके अंदुरुनी में खलश अब भी मौजूद थी अलबत्ता अमीनुलहसन पूरी तरह मुतमईन थे।
बाप -बेटी के दरमियान बातें हो रही थीं तभी नाएमा के फोन की घन्टी बजी।
उधर उसके शौहर थे , वह मोबाइल लेकर कमरे में चली गई कुछ देर बाद जब वह बाहर आई तो उसका चेहरा खिल रहा था, उसकी आँखें आंसुओं से तर थीं और वह कह रही थी - अब्बू! वह आपके दामाद ने मादीना मनौव्वार के एक तहक़ीक़ी इदारे में नौकरी के लिए अर्ज़ी दी थी वह मंजूर हो गई है, डेढ़ लाख तनख्वाह के साथ रिहाईश फ्री दी जाएगी और फैमिली वीज़ा भी है हम लोग अगले छ महीने के अंदर इंशाअल्लाह मादीना मनौव्वारा में होंगे।
खैरुन्निशा अमीनुलहसन को देख रही थीं और दोनों मारे खुशी के रोए जा रहे थे...!
लेकिन अम्मी याद रखें दुनिया मक़सूद नहीं है ,, जो अल्लाह से डर कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए तरीके पर ज़िन्दगी गुज़ारते हैं दुनिया उनके क़दम चूमती है अल्लाह रब्बुल आलमीन का फरमान है -( जो अल्लाह पाक से डर कर ज़िन्दगी गुज़ारे अल्लाह उसके लिए रास्ता निकाल देते हैं और ऐसे तरीक़े से रिज़्क़ देते हैं जिसका उसको गुमान भी नहीं होता)
मगर जो दुनिया को ही अपना नस्ब अलऐन बना ले वह आख़िरत की नेअमतों से महरूम होता है और दुनियावी ज़िन्दगी भी परेशान कुन होती है...!

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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