इश्क़ मैं ने लिख डाला #क़ौमियत के ख़ाने में,
और तेरा दिल लिखा #शहरियत के ख़ाने में।
मुझको तजुर्बों ने ही बाप बनके पाला है,
सोचता हूं क्या लिखूं #वल्दियत के ख़ाने में..?
मेरा साथ देती है मेरे साथ रहती है,
मैं ने लिखा तन्हाई को #हमसफ़र के ख़ाने में।
दोस्तों से जाकर जब मशवरा किया तो फ़िर,
मैंने कुछ नही लिखा #हैसियत के ख़ाने में।
इम्तेहान मोहब्बत का पास कर लिया मैं ने,
जब से आप मेरे हैं फ़ख़्र से मैं लिखती हूं,
नाम आपका अपनी #मिल्कियत के ख़ाने.......
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