सर्द ऊँगली अपने मुफ़लिस बाप की पकडे हुए
रो रहा है एक बच्चा एक दूकान के सामने
एक खिलौने की तरफ ऊँगली उठाकर बार- बार
कुछ नहीं कहता है लेकिन रो रहा है बार- बार
बाप की भीगती हुई आँखों में है दुनिया स्याह
रुख पे गर्दे मुफलिसी है जेब खाली पर निगाह
बाप की नमनाक आँखों में पिए तमकील यास
क्या क़यामत है पिसर के आंसुओ का इनाकास
दिल हुआ जाता है बच्चे के बिलकने से फागार
कह रहा है ज़ेरे लब फ़रियाद ए परवरदिगार
वाह क्या तक़दीर है इस बन्दए मासूम की
हो चली है उंगलियां सर्द मेरे मासूम की!!!
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