रसूलअल्लाह सलल्ललाहु अलैहे वसल्लम से क़ब्ल ज़माना क़दीम में दो तरह की औरत चली आ रही थी ---
बाइज़्ज़त ख़ानदानी ख़ातून जिसके साथ तालूक़ात क़ायम करने के लिए बक़ायदा निकाह किया
जाता था ।
दूसरी मंडी में बिकने वाली क़ाबिल ए फ़रोख़्त औरत जिसको लौंडी कहा जाता था --
लौंडी वो होती थी जो भी उसका रेट लगा कर ख़रीद लेता था और वो उसकी हो जाती थी --
और इसके साथ उसका मालिक बग़ैर निकाह के तालुकात क़ायम कर सकता था उसे तकरीबन कानूनी हैसियत हासिल थी --
इस्लाम ने गुलामी के तसव्वर की हौसला शिकनी की और
गुलामों और लौंडी को आज़ाद करवा दिया --
लेकिन
आज फ़िर कुछ लड़कियां अपने आप को बाग़ैरत ख़ानदानी और निकाह के ज़रिए घर की मालकिन के मर्तबे से गिरा कर --
वही लौंडी के दर्जे पर आई है और इस जदीद दौर की लौंडी का नाम है गर्ल फ्रेंड --
जिसके बारे में इब्ने आदम का दावा है के वो इसको घटिया सा गिफ़्ट और चंद बार शॉपिंग के एवज़ में ख़रीद लेता है --
सोचना तो
बिंन्ते इस्लाम को चाहिए के वो निकाह कर के घर बसाना चाहती है या गर्ल फ्रेंड बन कर किसी के लिए
टाइम पास ??????
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